दिल्ली के जंतर मंतर पर 5वें दिन भी देश के नामी पहलवानों का धरना जारी है। ऐसे में अब इन पहलवानों को देश के लगभग सभी राजनीतिक दलों और नामी हस्तियों का समर्थन मिल रहा है तो पहलवानों का भी मनोबल बढ़ा है।
पहलवानों की दो टूक
खिलाडियों ने भी 2 टूक कह दिया कि जब तक बृजभूषण की गिरफ़्तारी नहीं होती उनका धरना प्रदर्शन जारी रहेगा। खिलाड़ियों की इस चेतावनी को देखते ही 26 अप्रैल को दिल्ली पुलिस सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। ज्ञात दिला दें कि 25 अप्रैल को ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दखलअंदाजी करते हुए दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर दिया था जिसके बाद अगले ही दिन यानी 26 अप्रैल को दिल्ली पुलिस सुप्रीम कोर्ट में हाजिर हो गई।
देश के पहलवानों के आह्वान के बाद 25 अप्रैल से ही कई राजनेताओं और संगठनों का समर्थन मिलना शुरू हो गया। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट भी मामले की सुनवाई के लिए सहमत हो गया। कोर्ट ने मामले को गंभीर बताया और सुनवाई के लिए 28 अप्रैल की तारीख घोषित कर दी। पहलवानों ने बृजभूषण के खिलाफ अपना प्रदर्शन तेज़ कर दिया और कह दिया कि जब तक गिरफ्तारी नहीं तब तक जंतर-मंतर से वापसी नहीं।
26 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में पहुंचकर दिल्ली पुलिस ने कहा कि भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ 7 महिलाओं के तरफ से लगाए गए आरोपों पर प्राथमिकी यानि एफ.आई.आर दर्ज करने से पहले कुछ पहलुओं की प्रारंभिक जांच करने की जरूरत है। दरअसल 25 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर नाराजगी जताई थी कि अब तक बृजभूषण शरण के खिलाफ एफ.आई.आर क्यों नहीं दर्ज की गई। इसी बात पर नोटिस जारी कर इसका जवाब माँगा गया था।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने क्या कहा ?
चीफ जस्टिस डी.वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ को दिल्ली पुलिस की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगर शीर्ष अदालत को लगता है कि सीधे प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए तो ऐसा किया जा सकता है हालांकि पुलिस को लगता है कि प्राथमिकी दर्ज किए जाने से पहले कुछ पहलुओं की प्रारंभिक जांच कर लेने की जरूरत है।
वहीं सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता की दलीलों पर सीजेआई ने कहा कि हम तब तक कोई कदम नहीं उठाते जब तक कि हमारे पास कोई मटेरियल ना हो, उन्होंने कहा कि आपके पास जो भी दस्तावेज है वो पीठ के सामने जमा करें। इस शोषण के मामले में एक ‘माइनर’ भी है जिसके बाद ये मामला बहुत गंभीर हो जाता है।
कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को साफ-साफ कह दिया कि 28 अप्रैल को पूरे दस्तावेज के साथ आना फिर बात करेंगे। पीठ ने कहा कि दिल्ली पुलिस 28 अप्रैल को पहलवानों की याचिका पर सुनवाई के दौरान प्राथमिकी दर्ज करने को लेकर अपने विचार रख सकती है।
राजनीतिक दलों और नेताओं का समर्थन
बता दें कि 25 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सुनवाई के लिए तारीख दी थी। इसके साथ ही 25 अप्रैल को ही किसानों और राजनीतिक दलों का समर्थन खिलाड़ियों को मिलने लगा था। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी, पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक, किसान नेता राकेश टिकैत सब ने अपना समर्थन दिया। राजस्थान लोकतांत्रिक पार्टी के सुप्रीमो और सांसद हनुमान बेनीवाल ने अपना समर्थन दिया है। इधर धरने के समर्थन में गुरुवार को राजस्थान में आरएलपी कार्यकर्ता जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन कर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपेंगे। इसके अलावा भी कई राजनीतिक दलों के नेताओं ने अपना समर्थन दे दिया है और एक के बाद एक सब जंतर मंतर पर पहलवानों के आह्वान पर पहुंच रहे हैं।
इन सबके बाद सबकी निगाहें 28 तारीख को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर टिकी हैं। धरने पर बैठे सभी पहलवानों ने उम्मीद जताई है कि उन्हें इंसाफ मिलेगा।