शिमला नगर निगम चुनाव में कांग्रेस ने प्रचंड जीत से परचम लहराया है, वहीं भाजपा काफी पीछे रह गई।
दोस्तों शिमला नगर निगम चुनाव में कांग्रेस ने जीत का परचम लहराते हुए पूर्ण बहुमत हासिल कर लिया है। कांग्रेस ने 24 वार्डों में जीत दर्ज की है। वहीं भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा है। भाजपा को 9 वार्डों पर जीत हासिल हुई। पूर्व मेयर और भाजपा प्रत्याशी सत्या कौंडल भी चुनाव हार गईं। इस चुनाव में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी को (माकपा) एक सीट पर जीत मिली।
आम आदमी पार्टी का खाता भी नहीं खुला। कांग्रेस से बगावत कर चुनाव लड़ने वाले सोहनलाल चुनाव हार गए। हालांकि शिमला शहर के कांग्रेस अध्यक्ष जितेंद्र चौधरी को भी हार का सामना करना पड़ा। हिमाचल प्रदेश के शिमला में 2 मई को नगर निगम चुनाव हुए थे जिसके नतीजे आज घोषित हुए हैं। और इन नतीजों ने सभी को चौंका दिया है।
मात्र 4 महीने पहले हिमाचल प्रदेश की सत्ता में आए कांग्रेस का शिमला नगर निगम चुनाव में जबरदस्त प्रदर्शन बताया जा रहा है आपको बता दें शिमला नगर निगम पर पिछले 10 सालों से भाजपा का डंका बज रहा था।
कर्नाटक विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा असर ?
इन दिनों चुनावों की अगर बात करें तो कर्नाटक चुनाव या फिर उत्तर प्रदेश के नगरीय निकाय चुनाव की चर्चा ज़्यादा हो रही है। ऐसे में हिमाचल प्रदेश के शिमला से इस तरह की खबर कांग्रेस जो कि कर्नाटक में जबरदस्त प्रचार-प्रसार में लगी हुई उसके सभी दिग्गज नेता के एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं, चुनाव प्रचार में जुटे हैं उन्हें बल मिलेगा। तो दूसरी ता भाजपा खेमे में हड़कंप तू जरूर मचेगा।
क्योंकि कांग्रेस इन वार्डों में जिन भी सीटों पर जीती है वह बहुत भारी अंतर से जीती है और भाजपा जिन 9 वार्डों में जीती है वह बहुत मामूली अंतर से जीती है। आश्चर्यजनक यह भी है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जो हिमाचल प्रदेश के ही हैं उसके बावजूद शिमला नगर निगम चुनाव में इस तरह के नतीजे उनमें एक चिंता तो पैदा कर ही देगा।
क्योंकि वह भी इन दिनों कर्नाटक में चुनाव के मद्देनजर प्रचार प्रसार में डटे हुए हैं। इससे उनके आत्मविश्वास में कहीं ना कहीं कमी तो झलकेगी। पहले उनकी अगुवाई में हिमाचल प्रदेश की सत्ता खिसक कर कांग्रेस के हाथ में चली गई और अब 10 साल से नगर निगम पर काबिज भाजपा की ऐसी बुरी हालत हुई है। अब सवाल यह है कि क्या इससे उनकी अध्यक्षता पर कोई असर पड़ेगा ?
हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का सियासी कद बढ़ा
एक तरफ जहां करारी हार से भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस में, मौजूदा हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का सियासी कद बढ़ा है। इसके पहले 2021 के विधानसभा उपचुनाव में और 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जबरदस्त जीत मिली थी।
आपको बता दें कि हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपना सियासी सफर पार्षद के रूप में ही शुरू किया था। विधायक बनने से पहले वह दो बार 1992 और 1997 में छोटा शिमला वार्ड से लगातार 10 साल तक पार्षद रहे थे। बताया जा रहा है कि इस तरह के चुनावी नतीजे सुक्खू सरकार के 4 महीने के कार्यकाल पर जनता की मोहर की तरह है।
वहीं दूसरी तरफ अगर बीजेपी की बात करें तो भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा खुद इस नगर निगम चुनाव में कमान संभाले हुए थे। उनका मानना था कि इस चुनाव को जीत कर कहीं ना कहीं 4 महीने पहले मिली करारी हार से वो और उनकी पार्टी उभर पाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
वहीं दूसरी तरफ अगर बीजेपी की बात करें तो भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा खुद इस नगर निगम चुनाव में कमान संभाले हुए थे। उनका मानना था कि इस चुनाव को जीत कर कहीं ना कहीं 4 महीने पहले मिली करारी हार से वो और उनकी पार्टी उभर पाएगी लेकिन लोगों ने भाजपा को सिरे से खारिज कर दिया।
आपको बता दें कि कर्नाटक चुनाव में भी हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू काफी सक्रिय हैं। लगातार वहां प्रचार प्रसार में जुटे हुए हैं तो क्या अब हिमाचल प्रदेश के शिमला के नगर निगम चुनाव में मिली जीत का असर वहां उनके मनोबल पर दिखाई देगा ? शिमला नगर निगम चुनाव की जीत की गूंज क्या वहां पर भी दिखाई देगी ?
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